Female Infertility in Hindi

महिला निसंतानता (महिलाओ में बाँझपन) क्या है?


अधुनिक जीवनशैली और खानपान से जुड़ी की गलत आदतों के कारण निसंतानता (इनफर्टिलिटी) की समस्या आम हो गई है। भारत में महिला निसंतानता की संख्‍या 9% से 16.8% के बीच है। सही जानकारी के अभाव में दंपति कई तरह के इलाज करवाने के बाद अंत में आईवीएफ करवाने पर मजबूर हो जाते हैं, जो ना सिर्फ बहुत जटिल प्रक्रिया है बल्कि इसमें काफी पैसा भी लगता है। और यही वजह है की हर व्यक्ति इस विकल्प को नहीं अपना पाता है।



इन सभी समस्याओं के कारण युवा दम्पतियों को प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इस समस्या का पुख्ता इलाज आयुर्वेद में मौजूद है। आज इस आर्टिकल में हम महिला निसंतानता क्या है? के बारे में बात करेंगे।


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महिला निसंतानता- Female Infertility in Hindi


आमतौर पर जब एक महिला 30 की उम्र तक पहुंचती है तो उनकी प्रजनन क्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। 35 साल की उम्र के आसपास प्रजनन क्षमता में गिरावट तेज हो जाती है, और 40 या 45 तक आते आते पूरी तरह से कम हो जाती है।


इसका मुख्य कारण यह है कि जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, उनके अंडाशय में अंडों की कुल संख्या और उनकी गुणवत्ता में गिरावट आने लगती है। मोनोपोज लगभग 51 साल की है उम्र में होता है जो प्रजनन क्षमता के पूर्ण अंत का प्रतीक होता है। 


महिला निसंतानता (female infertility in hindi) की समस्या तब होती है जब एक महिला शादी के एक साल तक प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असक्षम होती है। गर्भधारण करने में असमर्थ होती है तो इस स्थिति को मेडिकल भाषा में महिला बांझपन यानी Female Infertility कहते हैं। आज के समय में 30 साल से कम उम्र की महिलाओं में बाँझपन के कई तरह की समस्या देखी गई है। अगर आप इंफर्टिलिटी के शुरुआती लक्षणों को जान लें तो इस परेशानी से जल्दी छुटकारा पा सकती हैं।


महिलाओं में बांझपन के लक्षण- Mahila mein Banjhpan ke Lakshan

  • आपकी पीरियड्स साइकल बहुत लंबी या छोटी है और इस दौरान आपको काफी दर्द होना

  • बार-बार गर्भपात होना

  • पेट के निचले हिस्से में काफी तेज दर्द होना 

  • यौन क्रिया में समस्या होना

  • सेक्स के दौरान दर्द

  • लंबी, दर्दनाक और भारी अवधि

  • काले और पीले मासिक धर्म के रक्त का प्रवाह

  • क्रोनिक पैल्विक दर्द

  • थकान, पीठ दर्द और जी मिचलाना

  • बालों की समस्या जैसे बालों का पतले होना या झड़ना।

  • वजन का अचानक से बढ़ना।

  • चेहरे पर मुहांसे होना या त्वचा संबंधी कोई समस्या आदि।


अगर ऐसा कोई भी लक्षण शरीर में दिखता है तो तुरंत डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए। समय पर लक्षणों की पहचान और इलाज से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।


महिलाओं में बांझपन के कारण- Mahila mein Banjhpan ke Karan


  • ओव्यूलेशन डिसऑर्डर (Ovulation Disorder)

बांझपन के अधिकांश मामलों में अगर आपको हर महीने समय पर पीरियड नहीं आ रहे हैं तो हो सकता है आपका ओवुलेशन अनियमित हो करना होता है। अंडाशय में समस्याएं ओव्यूलेशन विकार पैदा कर सकती हैं।


  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजिज (PCOS/PCOD)

पीसीओएस या पीसीओडी में ओवरी यानी अंडाशय और उनके हार्मोन में हुए बदलाव से जुड़ी कॉमन समस्या है। इस स्थिति में अधिक मात्रा में हार्मोन रिलीज होने लगते हैं। इससे ओवरी में बहुत सारे सिस्ट बन जाते हैं। इस स्थिति में वजन तेजी से बढ़ने लगता है और चेहरे पर बाल आने जैसी समस्या भी हो सकती है।


  • हाइपोथैलेमिक डिसफंक्शन (Hypothalamic Dysfunction)

जब शरीर में फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) का फंक्शन सही प्रकार से नहीं होता है तो ये समस्या हो जाती है। ऐसा होने पर पीरियड्स साइकल अनियमित हो जाती है या कई बार पीरियड्स होते ही नहीं हैं।


  • फैलोपियन ट्यूब को नुकसान (Fallopian Tube Damage)

डेमेजेड या ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब स्पेर्म्स को अंडे तक जाने से रोकती हैं। फैलोपियन ट्यूब में डैमेज या रुकावट की वजह से ऐसा हो सकता है।


  • एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis)

ये यूट्रस की एक समस्या है। जब यूट्रस की लाइनिंग बनाने वाले टिशू की ग्रोथ आसामान्य हो जाती है। तब ये टिशू गर्भाशय के बाहर फैल जाते हैं. जिससे एंडोमोट्रिसओसिस की समस्या हो जाती है।


  • गर्भाशय या सर्वाइकल के कारण (Causes  of Uterus or Cervical)

कई बार सर्वाइकर के कारण भी बांझपन की समस्या हो जाती है। ऐसे में फैलोपियन ट्यूब  ब्लॉक हो सकती है। जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है. हालांकि, फाइब्रॉएड या पॉलीप्स वाली कई महिलाएं गर्भवती हो जाती हैं।


  • जीवनशैली और सामाजिक कारण- (Lifestyle and Social Causes)

खराब जीवनशैली से मोटापा, डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं के साथ ही प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो रही है। शिक्षा, करियर और सही उम्र में प्रेग्नेंसी प्लान न करना भी वजह है।


महिलाओं में बांझपन के आयुर्वेदिक उपचार- Mahilao mein Banjhpan ke Ayurveda


महिला में निसंतानता के पीछे पीसीओएस की समस्या, एंड्रोमेट्रियोसिस, तनाव, खराब जीवनशैली और सामाजिक कारण आदि हो सकते हैं जिसके समय पर आयुर्वेदिक इलाज करने और सकारात्मकता से दूर किया जा सकता है। 


समय के साथ आयुर्वेद में भी कई तरह के शोध हुए हैं और अब ये चिकित्सा विज्ञान पहले से कहीं उन्नत हो गई हैं। कई जटिल बीमारियों के साथ ही गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक पूरा इलाज आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जरिए पूरी कुशलता के साथ किया जा सकता है।


बाँझपन की समस्या का आयुर्वेदिक उपचार


प्राकृतिक तरीके से निसंतानता का इलाज किया जा सकता है और आईवीएफ की तुलना में इसका खर्च 80 प्रतिशत तक कम होता है और 99 प्रतिशत मामलों में यह कारगर सिद्ध भी होता है।


आयुर्वेद के अनुसार, ट्यूबल ब्लॉकेज मुख्य रूप से वात और कफ दोष के कारण होता है। न केवल आयुर्वेद के हस्तक्षेप से ट्यूबल ब्लॉकेज को दूर किया जा सकता है बल्कि फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय के कार्य को भी सामान्य किया जा सकता है। निःसंतानता के लिए पंचकर्म पद्धति आंतरिक सफाई की प्रक्रिया है और महिला निःसंतानता के प्राकृतिक उपचार में से एक है। 


ट्यूबल ब्लॉकेज के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद वात-कफ दोष, पचाना और अपान वतनुलोमाना को शांत करने पर केंद्रित हैं। यह वसा को तोड़ने, हार्मोनल संतुलन को ठीक करने में उपयोगी है, जो फैलोपियन ट्यूब में होने वाले रुकावटों को दूर करने में मदद करता है। साथ ही ओवुलेट्री चक्र को नियमित किया जाता है। बस्ती कर्म कर द्वारा अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब, पैल्विक आसंजनों और प्रजनन अंगों में आयी सूजन का पता लगाया जाता है। मसाज थेरेपी या मालिश चिकित्सा गतिहीन जीवन शैली के परिणामस्वरूप स्थिर लसीका (lymph) प्रवाह होता है।


शिरोधारा, अभ्यंग, नास्य कर्म, बस्ती कर्म, मर्म चिकित्सा जैसे उपचार शरीर से अशुद्धियों को निकलने में मदद करते हैं। यह महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाने का सबसे अच्छा प्राकृतिक तरीका है। महिला निःसंतानता के लिए आयुर्वेदिक उपचार के रूप में शरीर के ऊतकों को पोषण देने का काम करतें है, मन को पुनर्जीवित और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करतें हैं। 

इसके साथ आपको अपने डाइट और जीवनशैली में भी बदलाव करना होगा। पोषक से भरपूर आहार लें जो निशानों को ठीक करता है और इस प्रकार ट्यूबल रुकावट को दूर करता है। विटामिन-सी, विटामिन-डी, ओमेगा-3 युक्त आहार ले जिससे फर्टिलिटी रेट बूस्ट होती है। 


खानपान के अलावा आप दिन में एक बार योगा जरुर करे जो फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। 

सुर्य नमस्कार, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम, तितली आसन, कपालभाती, नौकासन, भ्रमारी प्राणायाम और 30 मिनट तक पैदल चले। अगर आप ऐसी समस्या से जुझ रहे है तो कृपया उसे बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें, क्योंकि ऐसा करना आपके जीवन के लिए खतरनाक होता है। 


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इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है तो सलाह लेने के बाद ही इस पर अमल करें। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल से +91 9811773770 संपर्क करें।

 

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