Pollution in Hindi
दिवाली में बढ़ता प्रदूषण बिगाड़ रहा कपल्स का जीवन- Pollution at Delhi
दिपावली उत्साह और खुशियों का पर्व है जिसका हर साल सभी लोगों को इंतजार रहता है। लोगों से मिलना, मिठाइयां और पटाखे इस त्योहार को काफी खास बनाते हैं। हालांकि इन सबके बीच दिवाली में पटाखों के जलाने से होने वाला प्रदूषण भी सेहत के लिए भी कई प्रकार की चुनौतियां खड़ी कर दी है।
रोजाना जहरीली हवा में सांस लेने से Urban शहरों में यंग कपल्स नेचुरल तरीके से कंसीव करने की स्थिति में नहीं है। जिन महिलाओं को 35 से 40 साल की उम्र में ओवरी में दिक्कते आती थी, अब महिलाओं को 25 की उम्र में ही महिलाएं इनफ्रटिलिटी की समस्या होने लगी है। वहीं बढ़ते प्रदूषण में महिलाए ही नहीं पुरूषों में भी स्पर्म काउंट बहुत तेजी से घट रहा है। इसका नुकसान इतना ज्यादा है कि UT I और अन्य आर्टिफिशयल प्रेगनेंसी का तरीका अपनाने पर भी सफलता नहीं मिलती है।
हाल ही में इसी को ध्यान में रखते हुए कई राज्यों में पटाखों को प्रतिबंधित किया गया है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पटाखों की अनुमति नहीं दे सकते, भले ही ग्रीन पटाखे हों, इससे प्रदूषण बढ़ने का खतरा रहता है। इनफर्टिलिटी आज केवल महिलाओं की समस्या नहीं बल्कि पुरूषों में भी तेजी से बढ़ रहा है।
इनफर्टिलिटी के तहत कई तरह की स्थितियां होती है जो महिलाा और पुरूष दोनों को प्रभावित करते है। एक रिसर्च के मुताबिक देश में आज भी इनफर्टिलिटी के लिए केवल महिलाओं को दोषी माना गया है। जबकि 30 प्रतिशत मामलों में यह समसया पुरूषों में होती है। कहा जाता है कि ये दिक्कतें चार-पांच सालों में सबसे ज्यादा देखी गई है। खासकर शहरी इलाकों में जहां हर चार में से एक कपल निसंतानता का शिकार हो रहा है।
विशेषज्ञ का मानना है कि प्रदूषण हमारे पूरे शरीर पर असर डालता है। फर्क सिर्फ इतना है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा लेने से हमारे प्रजनन प्रणाली पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। लोग फर्टिलिटी की परेशानी झेलते हैं। वे बताती हैं कि प्रदूषण और फर्टिलिटी के विषय पर ज्यादा से ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत है, लेकिन अबतक जितने भी शोध हुए हैं उसमें देखा गया है कि प्रदूषण चार तरीके से मनुष्य की फर्टिलिटी पर असर डालता है।
प्रदूषण का फर्टिलिटी का असर- Pradushan Ka Fertility Ka Asar
स्पर्म काउंट और एग पर पड़ रहा असर: प्रदूषण के कारण शरीर में सूजन बढ़ने लगती है। महिला की ओवरी और पुरूष के टेस्टीज के अंदर गेमोटोजेनेसिस के प्रोडक्शन पर असर डालता है। यह स्पर्म और एग की प्रोडक्शन कम होने का कारण बनने लगता है। जिससे पुरूषों में स्पर्म काउंट होने लगते है और महिलाओं में एग की क्वालिटी में गिरावत आने लगती है। एक महिला कंसीव करने में असमर्थ होती है।
हर्मोनल डिसऑडर: एंडोक्राइन डिसऑडर होने से शरीर में हार्मोन में दिक्कत आने लगती है। प्रदूषित कण हमारे शरीर में एस्ट्रोजन और एण्ड्रोजन के रिसेपटर्स पर जाके चिपक जाते हैं। इससे हार्मोन के रिलीज में काफी फर्क पड़ता है।
डीएनए में हो रही है गड़बड़ी: प्रदूषण के जहरीले प्रदार्थ से जीनोटॉक्सिक इफेक्ट हो सकता है। प्रदूषित कण से जीन्स के लेवल पर बुरा असर डालते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि प्रदूषण जैसे-जैसे बढ़ता है स्पर्म डीएनए सेग्मेंटशन भी बढ़ता जाता है। इसका मतलब स्पर्म का डीएनए टुकड़ों में बट जाता है जो निसंतानता का कारण बनता है। साथ ही स्पर्म के जीवित रहने की क्षमता कम होती जाती है।
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ाते है प्रदूषण: प्रदूषण के कारण शरीर में आरओएस की संख्या बढ़ जाती है। रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज नामक केमिकल की मात्रा बढ़ने से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाता है। शरीर में आरओएस की मात्रा बढ़ने से पुरूष में स्पर्म और महिला में एग का प्रोडक्शन खराब हो जाता है।
प्रेगनेंसी के बाद भी बुरा असर डालता है प्रदूषण - Pregnancy Mein Bhi Bura Asar Dalta Hai Pradushan
किसी भी तरह की प्रेगनेंसी के बाद (नेचुरल या IVF) इसका असर प्रेगनेंसी से पहले तो कपल पर पड़ता ही है। लेकिन लगातार खतरनाक एयर क्वालिटी में रहने के बाद इसका असर प्रेग्रेंसी पर भी जरूर पड़ता है। जैसे समय से पहले ही डिलीवरी होना, बच्चे का वजन कम होना या फिर पैदा होने के समय बच्चे की मौत हो जाने के पीछे यही कारण निकलकर सामने आते हैं।
बच्चे की चाह में छह साल करवाया इलाज - Bacche ki Chah Mein Che Saal Karwaya Ilaj
गुरूग्राम की रहने वाली ममता बताती हैं की वें 2017 से बच्चे की प्लानिंग कर रहीं है। शुरूवात में एक साल तक नेचुरल कंसीव करने की हर संभव कोशिश की, इसमें कामयाबी नहीं मिलने पर डॉक्टर को दिखाया। फिर करीब एक साल तक एलोपेथी दवाइयां खाने के बाद ममता और उनके पति इसी कोशिश में लगे रहे।
जब नेचुरल कंसीव करने के तरीके काम नहीं आए तो उन्होंने सबसे पहले आईयूआई यानी इंट्रा यूटेरिन इनसेमिनेशन का तरीका अपनाया। जिसमें महिला के योनी में स्पर्म को इंजेक्ट किया गया जाता है। उन्होंने ये तरीका दो बार अपनाया लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। उसके बाद उन्होंने आईवीएफ भी ट्राई किया पर आईवीएफ फेल होने के वजह से इसमें भी निराशा हाथ लगती है। आखिर में इसी साल की शुरूवात में उन्होंने आयुर्वेद इलाज का रूख किया। अब ममता एक लड़की की मां बन चुकी है।
डॉक्टर ने आयुर्वेद दवाइंयों के साथ मेरे लिए डाइट चार्ट भी तैयार किया था। पिछले छह सालों से लगातार दवाइंया खा रही थी लेकिन इससे कोई भी रिजल्ट नहीं मिला। आशा आयुर्वेदा में कुछ दवाइयां, डाइट और थेरेपी लेने से कुछ महीनों में मुझे असर दिखने लगा। मुझे कुछ योगासन भी बताएं जो रूटीन में शामिल हो चुका है। और आयुर्वेद अपना के कुछ महीनों में ही मैंने नेचुरल तरीके से कंसीव कर लिया।
प्रदूषण से बचने के लिए रखें ये सावधानियां- Pradushan Se Bachne Ke Liye Rakhein Yeh Sawdhaniya
भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय 2020 की स्टडी की माने तो इनफर्टिलिटी रेट 16.8 प्रतिशत दर्ज किया गया है। वहीं देश में 2.179 - 0.95% प्रतिशत तक फर्टिलिटी रेट घटता जा रहा है। इससे बचने के लिए आपको कई सावधानियां बरतनी पड़ेगी जो इस समस्या से निजात दिला सकता है। इन निम्नलिखित में इन बातों का ध्यान रखें:
प्रदूषण स्तर से हमेशा अवगत रहें, ताकि आप सही कदम उठा सकें।
घर में साफ-सफाई के लिए प्राकृतिक घरेलू क्लीनर का इस्तेमाल किया जाता है।
बाहर के खानपान से जितना हो सकें उतना दूरी बना लें।
हरी सब्जियों और फलों का सेवन करें।
अपने घर में और आसपास पेड़ पौधे लगाए जो अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का प्रोडक्शन ज्यादा करते है। जैसे ऐलोवेरा, स्नेक प्लांट, स्पाइडर प्लांट, तुलसी और मनी प्लांट को घर में लगा सकते है।
स्वस्थ आहार का प्रयोग करें जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में सहायता कर सकेे।
व्यायाम और योगा करके शरीर को स्वस्थ रख सकते है।
रोजाना 2 से 3 लीटर पानी पीना चाहिए। क्योंकि हमारा शरीर पानी से बना है तो पानी पीकर खुद को हाइड्रेट रखें।
अपने घर और कार को हवादार बनाए। शाम के 3 से 5 बजे की बीच हवा निकालने के लिए अपने घर की खिड़कियां खोल दें। साथ ही सुबह में जब अपनी कार चलाते वक्त अपने कार के शिशे नीचे करें जिससे अंदर की हवा बाहर निकल सके।
ये छोटे-छोटे बदलाव की शुरूवात करके आप अपनी इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर कर सकते है।
आयुर्वेद में महिला बांझपन का इलाज अत्यधिक प्रभावी और सस्ता है। आपको बस इतना करना है कि उचित स्वस्थ भोजन करें और कुछ आवश्यक हर्बल दवाएं लें। यह आपको बिना किसी असफलता के सर्वोत्तम परिणाम देगा। आयुर्वेद सदियों से विश्वसनीय है और किसी भी बीमारी के इलाज के लिए सबसे अच्छा और सुरक्षित मार्ग है।
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