Nil Sperm Treatment in hindi

अस्थानोजोस्पर्मिया (निल शुक्राणु) की समस्या के कारण और आयुर्वेदिक उपाय- Asthenozoospermia (Nil Shukranu) Ki Samasya Ke Karan Aur Ayurvedic Upchar



कभी कभी लगातार प्रयास के बाद भी महिला गर्भवती नहीं हो पाती है। जिसके बाद दंपति इंफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट के पास जाते है जो उनको कुछ टेस्ट करवाने के लिए कहते है। हर बार जरूरी नहीं की महिला में ही समस्या हो कई बार पुरुषों में भी समस्या हो सकती है। इन्हीं बीमारियों में से एक पुरुषों में होने वाली समस्या है अस्थानोजोस्पर्मिया। जिसके चलते पुरूष के शुक्राणु की क्वालिटी में इतनी गिरावत आ जाती है कि एक अंडे को फर्टाइल नहीं कर पाते है। पहले तो इस समस्या से ज्यादा उम्र के पुरुष ग्रस्त होते थे, लेकिन अब युवा वर्ग इसके शिकार होते चले जाते है। और यही समस्या निसंतानता की सबसे बड़ी वजहों में से एक बनती जा रही है। आज हम इस लेख के माध्यम से जानेगे की आयुर्वेदिक उपचार से कैसे अस्थानोजोस्पर्मिया या निल शुक्राणु को ठीक किया जाता है। 


(और पढ़े - नपुंसकता क्या है? नपुंसकता के उपाय क्या है?)


अस्थानोजोस्पर्मिया (निल शुक्राणु) क्या है?- Asthenozoospermia Kya Hai


निल शुक्राणु (Nil sperm in hindi) या अस्थानोजोस्पर्मिया पुरुष बांझपन से संबंधित एक स्थिति है जिसमें पुरुष ऐसे शुक्राणु पैदा करते हैं जिनकी गतिशीलता कम होती है। स्पर्म मोटिलिटी (Sperm Motility) शुक्राणु की क्षमता को एक सीधी रेखा में तेजी से यात्रा करना दर्शाता है। नेचुरल तरीके से गर्भधारण करने के लिए प्रगतिशील शुक्राणु गतिशीलता बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, अगर आपके शुक्राणु की गतिशीलता कम है तो यह आपकी महिला साथी के गर्भवती होने की संभावना को भी कम करता है। 


अगर एक पुरुष की स्पर्म मोटिलिटी 50 प्रतिशत से भी कम है या फिर अगर आपके शुक्राणु महिला की योनी में 25 माइक्रोमीटर/सेकंड की गति से यात्रा कर रहे हैं, तो इस स्थिति को एस्थेनोज़ोस्पर्मिया के रूप में जाना जाता है।


अस्थानोजोस्पर्मिया (निल शुक्राणु) के कारण- Asthenozoospermia (Nil Shukranu) Ke Karan


एस्थेनोजोस्पर्मिया के कई कारण हैं। यहाँ कुछ कारणों का उल्लेख नीचे किया गया है:

  • सुजन की समस्या (शुक्राणु डक्ट, प्रोस्टेट ग्रंथि और अन्य प्रजनन अंग)

  • वेरिकोसिल की स्थिति पैदा होने के कारण। इस स्थिति में अंडकोष (टेस्टिकल) की थैली में नसों का आकार के बढ़ जाता है जो बांझपन का कारण बनता है। 

  • असामान्य वीर्य द्रवीकरण के कारण 

  • जेनिटिक अब्नोर्मेलिटी के कारण हो सकता है लेकिन बाहर से निल शुक्राणु के लक्षण नजर नहीं आते है।  

  • खराब या कम पोषण के कारण

  • अधिक शराब या धूम्रपान के कारण भी निल शुक्राणु की समस्या हो सकती है। 

  • एंटीस्पर्म एंटीबॉडी की उपस्थिति के कारण भी अस्थानोजोस्पर्मिया की समस्या हो सकती है। इस समस्या में वृषणों में किसी प्रकार की चोट, बायोप्सी या सर्जरी से ये शुक्राणु प्रतिरक्षा प्रणाली के संपर्क में आ जाते हैं, जिससे शुक्राणुओं को नष्ट करने वाले एंटी-स्पर्म एंटीबॉडीज बनने लगते हैं। 

  • जहरीले पदार्थों जैसे फर्टिलाइजर, रासायनिक सॉल्वैंट्स आदि के संपर्क में आना के कारण निल शुक्राणु की समस्या हो सकती है। 

  • खराब जीवनशैली के कारण भी स्पर्म की मोटिलिटी कम हो जाती है।

  • साथ ही ओबेसिटी यानि मोटापे के कारण स्पर्म काउंट प्रभावित होते हैं।



अस्थानोजोस्पर्मिया (निल शुक्राणु) का आयुर्वेदिक इलाज- Asthenozoospermia (Nil Shukranu) Ka Ayurvedic Ilaj


निल शुक्राणु का इलाज आयुर्वेद में भी मौजूद है। वैसे तो इसके कई और भी विकल्प मौजूद है, जिसे बिना सर्जरी के भी समस्या को दूर कर सकते है। निल शुक्राणु का आयुर्वेदिक इलाज प्राकृतिक तरीके से किया जाता है जो पुरुष निसंतानता को हर्बल औषधियों से दूर करने में मदद करता है। 

आयुर्वेद की प्राचीन पंचकर्म पद्धति में वमन कर्म, विरेचन कर्म, बस्ती कर्म, नस्यम कर्म तथा रक्त मोक्षण के द्वारा बहुत ही कम समय में पुरुष वीर्य से संबंधित विकार से निजात पाया जाता है। पंचकर्म की उत्तर बस्ती थेरेपी वीर्य संबंधित विकार को दूर करने के लिए सबसे अच्छी थेरेपी है। इन निम्नलिखित में निल शुक्राणु बढ़ाने के उपाय शामिल हैं जिससे स्पर्म मोटिलिटी को बढाया जा सकता हैं-   


  • अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है और कई स्वास्थ्य स्थितियों में फायदेमंद है। ये पुरुषों में प्रजनन क्षमता और टेस्टोस्टेरोन को बढ़ावा देता है। टेस्टोस्टेरोन और अन्य सेक्स हार्मोन को बढ़ावा देंता है। तनाव और उससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं को कम करता है जो निल शुक्राणु को बढ़ाता है।

  • आमलकी शुक्राणुओं की संख्या और शुक्राणु की गतिशीलता में उतार-चढ़ाव को कम करने के साथ-साथ टेस्टोस्टेरोन के स्तर को भी बढ़ाता है। यह शुक्राणु-सिर की असामान्यताओं की आवृत्ति को ठीक करता है और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हुए वृषण क्षति को रोकता है।

  • साथ ही आपको आयुर्वेदिक हर्बल औषधियाँ में सफेद मुस्ली, हरितिकी, शतावरी जैसे लाभकारी जड़ी बूटियों के सेवन करने के लिए देते है जिससे होर्मोनल बैलेंस करने में मदद मिलती है। इसके अलावा आप अपने जीवनशैली में भी बदलाव करें, क्योंकि गलत आहार लेने से, पूरी नींद ना लेने से और बिल्कुल भी व्यायाम ना करने से वीर्य से संबंधित विकार हो सकते है। यह विकार आपके पिता बनने में बाधा डाल सकते है। धूम्रपान और शराब छोड़कर आप स्वास्थय लाभ मिलेगा। 

  • निल शुक्राणु को बढ़ाने के लिए आहार में जिंक, सेलेनियम, विटामिन बी 12 वाले फूड को शामिल करें। इससे स्पर्म काउंट और मोटीलिटी दोनों इमप्रूव होती है। सालमन जैसी मछलियों को आहार में शामिल करें। 

  • एक विशेषज्ञ के अनुसार, नियमित रूप से एक्सरसाइज करने पर आपका वजन नियंत्रित रहता है। शारीरिक समस्याएं भी दूर होती हैं। पब मेड सेंट्रल की स्टडी बताती है की नियमित एक्सरसाइज से स्पर्म मोटीलिटी रेट में सुधार होता है।

  • एक स्टडी के मुताबिक निल शुक्राणु शराब और स्मोकिंग स्पर्म मोर्फोलोजी और स्पर्म प्रोडक्शन को प्रभावित करती है। शराब और स्मोकिंग दोनों के कारण सीमेन क्वालिटी भी घाट जाती है। इसलिए 


इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएसट्यूब ब्लॉकेज(हाइड्रोसालपिनक्स) ट्यूब में पानी आदि पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमारे Infertility Clinic आने के लिए +91 9811773770 संपर्क करें।

टिप्पणियाँ