Uterine Fibroids Diet Chart In Hindi

यूटेराइन फाइब्रॉएड्स डाइट चार्ट - Uterine Fibroids Diet Chart In Hindi

यूटेराइन फाइब्रॉएड्स


यूटेराइन फाइब्रॉएड् महिलाओं को होने वाली एक आम समस्या है। आमतौर पर इसे गर्भाशय की गांठ, बच्चेदानी की गांठ या आम बोलचाल की भाषा में इसे रसौली (what is fibroid in hindi) भी कहा जाता है। वास्तव में इस तरह की गांठ कैंसर नहीं होती हैं और न ही गर्भाशय में होने वाले कैंसर का खतरा बढ़ाती है।


अगर आप भी इस समस्या से पीड़ित है तो आपको इसके बारे में जानना बहुत जरुरी है। तमाम रोगों की तरह फाइब्रॉयड्स के पीछे भी हमारे गलत खानपान और लाइफस्टाइल के कारण भी यह समस्या इतनी बढ़ती है कि रोजमर्रा के काम करना मुश्किल हो जाता है। आज इस आर्टिकल में जानेगे की गर्भाशय की रसौली में क्या खाना चाहिए।


गर्भाशय में फाइब्रॉएड- Garbhashaya mein Fibroids

यूटरस के अंदर बनने वाली मांसपेशियों के ट्यूमर को यूटेराइन फाइब्रॉयड कहते हैं। सामान्य तौर पर हर महिला के गर्भाशय में कुछ ऐसी गांठें मौजूद हो सकती हैं पर इससे उन्हें कोई तकलीफ नहीं होती और इसके कोई लक्षण भी नजर नहीं आते, जिसके आधार पर इसकी जांच कराई जा सके। ज्यादातर फाइब्रॉयड की समस्या तभी देखने को मिलती है जब उसका साइज बढ़ने लगता हैं। हालांकि इस समस्या को भूलकर भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। अगर इसका सही समय इलाज नहीं होगा तो यह घातक बीमारी को जन्म दे सकती है। ऐसे में आज हम आपको फाइब्रॉयड के लक्षण बारे में बताएंगे। इन निम्नलिखित में गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लक्षण देखे जाते हैं-


  • पीरियड्स के समय खून के थक्के आना

  • पेट के निचले हिस्से में अधिक दर्द होना 

  • पेट के निचले हिस्से में ब्लीडिंग अधिक होना।

  • पेट के निचले हिस्से में भारीपन लगना

  • संमभोग करते समय दर्द होना

  • बार-बार यूरिन पास होना 

  • वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज 

  • एनिमिया की समस्या 

  • मासिक धर्म चक्र ज्यादा दिनों तक चलना


गर्भाशय में फाइब्रॉएड के कारण- Garbhashaya mein Fibroids ke Karan

गर्भाशय में फाइब्रॉएड होने का कोई कारण अभी तक पता नहीं चला है। लेकिन डॉक्टर के अनुसार इन निम्नलिखित में गर्भाशय में फाइब्रॉएड (रसौली) के कारण शामिल हैं-

  • डॉक्टर के अनुसार, हॉर्मोनल डिसबैलंस के कारण यूट्रस में रसौली बनती है लेकिन सेहत संबंधी अन्य समस्याएं भी इसकी वजह हो सकती हैं। 

  • कई बार आनुवंशिकी के कारण भी गर्भाशय में रसौली हो सकता है। 

  • कम उम्र में मासिक धर्म की शुरुआत, गर्भनिरोधक का उपयोग, मोटापा, विटामिन डी की कमी और शराब का सेवन फाइब्रॉएड के विकास के जोखिम को बढ़ता है।

  • अगर किसी महिला का वजन अधिक है, तो उसमें फाइब्रॉएड होने की संभावना होती है।

  • आपके शरीर में कफ दोष असुंतलित होता है फाइब्रॉएड की समस्या हो सकती है।   


गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लिए आयुर्वेदिक डाइट प्लान- Garbhashaya mein Fibroids ke liye Ayurvedic Diet Plan

यूटेराइन फाइब्रॉएड्स डाइट चार्ट, Uterine Fibroids Diet Chart In Hindi

गर्भाशय में गांठ के लक्षण और कारण तो जान लिए है। लेकिन फिर मन में सवाल आता है कि फाइब्रॉइड को ठीक करने के लिए क्या खाये। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीन दोष होते हैं- वात, पित्त और कफ। अगर तीनों दोष संतुलित है तो शरीर निरोगी होता है। लेकिन शरीर में इन तीनों में से कोई असंतुलित होता है तो तरह-तरह की बीमारियां उत्पन होती है। विशेष रुप से कफ दोष असंतुलित होता है तो गर्भाशय में फाइब्रॉएड, पीसीओडी, पीसीओएस और ओवेरियन सिस्ट आदि तरह की बीमारियां हो सकती है। इन निम्नलिखित में हम गर्भाशय में गांठ खत्म करने के लिए डाइट बता रहे हैं। ध्यान रहे, ये घरेलू उपाय गर्भाशय फाइब्रॉइड ट्रीटमेंट इन हिंदी है जो कफ को संतुलित करने में कुछ हद तक मददगार हो सकते हैं। इन्हें किसी भी तरीके से गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज न समझा जाए। अब पढ़ें आगे –


  • कफ को संतुलित करने के लिए मीठे, खट्टे और नमकीन खाद्य पदार्थ का सेवन कम करना होगा। 

  • गर्भाशय में गांठ बनने पर आंवले का सेवन करना बेहद फायदेमंद माना जाता है। इसमें काफी अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट् पाया जाता है, जाे गांठ या रसौली के उपचार में कारगर हाेता है। इसके लिए आप एक चम्मच आंवला पाउडर काे एक चम्मच शहद में मिला लें। इसका राेजाना सुबह खाली पेट सेवन करें। 


हल्दी काे अधिकतर बीमारियाें के इलाज में हल्दी का उपयाेग किया जाता है। गर्भाशय में गांठ हाेने पर भी आपकाे हल्दी काे अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। इसमें एंटीबायाेटिक गुण हाेते हैं, जिसके सेवन से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। हल्दी के सेवन से रसौली में भी आराम मिलता है। 


  • बिना पके हुए हरी सब्जियों का सेवन करें। जैसे की ब्रोकोली, गोभी, केल, शलजम, फूलगोभी, मूली आदि के सेवन से लिवर को विषले पदार्थ बहार निकालने में मदद मिलती है। 

  • शरीर को डिटॉक्सिफाय करने के लिए लहसुन, गाजर, चुकंदर का सेवन करें और खूब पानी पीएं जिससे शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। 

  • गर्भाशय में फाइब्रॉइड की डाइट प्लान (diet plan for fibroids in hindi) के लिए विटामिन-सी और विटामिन-ए का सेवन जरुर करें। इससे फाइब्रॉइड स्थिति को नियंत्रित करने और कम करने में मदद मिलती है। 

  • अदरक का सेवन करना फाइब्रॉइड के लिए काफी मददगार साबित होता है। 

  • गर्भाशय रसौली का इलाज करने में सहायक हो सकता है। दरअसल, लहसुन में मौजूद एलिसिन कंपाउंड एंटीप्रोलिफेरेटिव प्रभाव दिखाता है, जो फाइब्रॉइड सेल्स को बढ़ने नहीं देता है। 

  • डेयरी उत्पादों को अच्छी तरह से सहन करते हैं, तो गाय का दूध, दही और पनीर जैसे आहार में शामिल करें। अगर नहीं, तो लैक्टोज-मुक्त उत्पादन जैसे कि बादाम के दूध का सेवन करें।

  • सोया एक फैटी मीट के लिए एक दुबला प्रोटीन विकल्प है जो मांस जितना पोषक तत्व प्रदान करता है।  


इन आहार का सेवन कम करें

  • मांस, अंडे की जर्दी, एवोकाडो और हाई फैट कुकीज़ और पेस्ट्री से बचें, जो सैचुरेटेड फैट से भरे होते हैं। ये खाद्य पदार्थ एस्ट्रोजेन सहित हार्मोन में उच्च होने की संभावना है।

  • फाइब्रॉएड ट्यूमर वाली महिलाओं को हाई फैट वाले डेयरी उत्पादों की मात्रा को सीमित करने सलाह दी जाती है।

  • कैफीन युक्त पेय जैसे सोडा, चाय, चॉकलेट और कॉफी से दूर रहें l

  • डिब्बा बंद सूप, चिप्स, अचार, जैतून और सूखे खाद्य पदार्थ से बचें।

  • मैदा युक्त खाद्य पदार्थों में पास्ता, सफेद रोटी, सफेद चावल, केक और कुकीज़ आदि का सेवन न के बराबर हैं।


फाइब्रॉएड के लिए क्या करें और क्या न करें


  • क्या करे

  1. पौष्टिक और हार्मोन संतुलनकारी भोजन को अधिकतम करें l

  2. पाचन क्षारीय-एसिड संतुलन बनाए रखें l

  3. खाद्य एलर्जी को खत्म करें l

  4. प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाएं l

  5. शरीर की नियमित सफाई करेंl

  6. सेंधा नमक का सेवन करें।

  7. दालचीनी, हल्दी, हरी मिर्च, प्याज और मूली का सेवन करें।

  8. बेंगन, तौरी, लौकी, टिंडा, और करेले का सेवन करें।

  9. कच्चे कैले का सेवन करें।

  10. सेब और अनार का सेवन करें।

  11. दाल आप कोई भी खा सकते है, लेकिन लिमित इसका सेवन करें।


  • क्या न करे

  1. विषाक्त भोजन, उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले भोजन को कम से कम करें l

  2. कच्चे खाद्य पदार्थों का सेवन कम से कम करें l

  3. जितनी भी मीठी चीजे है ना उनका सेवन कम करें।

  4. दूध के साथ फल का सेवन ना करें।

  5. गेंहू के आटे और मैदे का सेवन करें।

  6. खट्टी दही, अनानास, विनेगर और चीज का सेवन ना करें

  7. सोयाबीन की दाल का सेवन ना करें।

  8. बीच बीच में लेने वाले स्नैक को बंद करें।


गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लिए डाइट चार्ट

यहां हम एक डाइट प्लान साझा कर रहे है जो रसौली या गर्भाशय के आकार और लक्षणों को निंयत्रित करने में काफी मददगार साबित हो सकता है। इनमें शामिल है:


समय का डाइट-


सुबह खाली पेट (8.00-8.30 AM): नींबू रस के साथ 1 गिलास गर्म पानी + बादाम (6-7) + किशमिश (8-9)


नाश्ता (09:00 -09:30 AM): 2-3 इडली /उत्पम /उपमा + नमकीन दलिया /मूंग दाल खिचड़ी + अंकुरित अनाज + 1-2 पतली रोटी + 1 कटोरी सब्जी + 1 कटोरी दाल /1 प्लेट फलों का सलाद 


दोपहर का भोजन (1.00-2.00 pm): 1 कप चावल (मांड निकालकर) + 2 पतली रोटियां + 1 कटोरी सब्जी (पत्तेदार, रेशेदार, ताजी) + 1 कटोरी दाल + मट्ठा + सब्जियो का सलाद 


शाम के समय (5.00-6.00pm): ग्रीन टी/ चाय / सब्जियों का सूप


रात का खाना (8.00-9.00pm): 2 रोटी + 1 कटोरी सब्जी + सलाद


सोने से पहले (10:00-10.30pm): 1गिलास गर्म दूध |


खानपान के अलावा आप दिन में एक बार योगा जरुर करे जो फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।


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