Pelvic Inflammatory disease in hindi

इंफर्टिलिटी का कारण बनता है पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज- Infertility ka Karan Banta Hai Pelvic Inflammatory disease in hindi



महिलाओं को अपने पूरे जीवन में शरीरिक, मानसिक, और हर्मोनल उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। इसमें से कुछ ऐसी समस्याएं होती है जो महिलाओं के प्रजनन अंगों पर सीधा असर डालते है। इन्हीं में से एक बीमारी है पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (Pelvic Inflammatory Disease) जिसे श्रोणि में सूजन भी कहा जाता है। भारत में इंफर्टिलिटी के मामलों में लगभग 3 से 10 प्रतिशत महिलाएं PID की समस्या से ग्रसित होती है। डॉक्टर चंचल शर्मा के इस लेख के माध्यम से हम आपको पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज की समस्या के बारे में विस्तार से बात करेंगे। यहां आप जानेंगे कि पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज क्या है और इसके लक्षण व उपचार क्या हैं। 


c या श्रोणी में सूजन क्या है?- Pelvic Inflammatory disease Ya Shroni Mein Sujan Kya Hai


पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज या श्रोणी में सूजन महिलाओं के प्रजनन अंगों में होने वाला संक्रमण है। यह संक्रमण उनके गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन में हो सकता है। संक्रमण के कारण इन अंगों में घाव होते है। अगर आपको पीआईडी की समस्या हो और इसका उपचार न हो तो इससे 'एड्हेशन्स (adhesions)' हो सकते हैं। ऊत्तकों (Tissue) का एक साथ चिपकना एड्हेशन्स कहलाता है जो ट्यूब ब्लॉक (Tubal Blockage Treatment) का कारण बनता है। और इस समस्या 8 में से 1 महिला को गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है।  


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पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षण- Pelvic Inflammatory disease Ke Lakshan 


अक्सर पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के मामलों में स्पष्ट लक्षण पैदा नहीं होते है। अगर किसी को पीआईडी की समस्या है तो उनमें पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के लक्षण दिखाई दे सकते हैं:  

  • बुखार आने की समस्या होना

  • पेट और पीठ के निचले भाग में दर्द होना

  • वेजाइनल डिस्चार्ज से गंध आना

  • सेक्स के बाद ब्लड का आना

  • अधिक ठंड लगना

  • शरीर में थकान महसूस होना

  • पेशाब करते वक्त दर्द होना

  • बार-बार पेशाब आना

  • पीरियड क्रैम्प्स की समस्या होना

  • पीरियड के समय असामान्य रक्त का बहना

  • भूख कम लगना या न लगना

  • मतली और उल्टी की समस्या होना

  • पीरियड का स्किप होना

  • यौन संबंध के समय दर्द होना


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पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के कारण- Pelvic Inflammatory disease Ke Karan


पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज को श्रोणि सूजन की बीमारी के नाम से भी जाना जाता है। इसके लिए मुख्य रूप से बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं। इन निम्नलिखित में पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज के कारण इस प्रकार से हैं:

  • एंडोमेट्रिल बायोप्सी के कारण

  • 25 साल से कम उम्र के है

  • कई सेक्सुअल पार्टनर होना

  • मिसकैरेज होने के कारण

  • यौन संचारित संक्रमण के कारण (जैसे कि क्लैमाइडिया (chlamydia) या गोनोरिया (gonorrhoea))

  • इम्यून स्सिटम कमजोर होने के कारण

  • एसटीआई होने का इतिहास होना


पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज में मेडिकल परामर्श की आवश्यकता कब होती है?


अगर आप ऊपर लिखे लक्षणों में से किसी एक का भी अनुभव कर रही हैं तो अपने फर्टिलिटी डॉक्टर से या फिर Infertility Clinic में जाकर परामर्श करें। 

अगर आपको गंभीर दर्द है तो तत्काल Infertility Clinic near me से या फर्टिलिटी डॉक्टर के बारे में संपर्क करना चाहिए। इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट में देरी करने से या पीआईडी की समस्या बार बार होने से स्थिति गंभीर हो सकती है। 

इस समस्या का निदान करने के लिए कोई सरल परिक्षण नहीं है। इसका निदान आपके लक्षण और यौनि में आंतरिक परिक्षण से ट्यूबल ब्लॉकेज (Tubal Blockage Treatment) का पता कर इलाज निर्धारित करती है। और अन्य जटिलताओं के बारे में भी पता चलेगा। 


पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज का आयुर्वेदिक इलाज- Pelvic Inflammatory disease Ka Ayurvedic Ilaj


रोग की बड़ी वजह यौन सुरक्षित संबंध है। इसका इलाज करवाना बेहद जरूरी है, वरना जटिलताओं का खतरा बढ़ सकता है। एलोपेथी के अलावा आयुर्वेदिक उपचार से पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज को दूर किया जाता है जो ट्यूबल ब्लॉकेज और गर्भधारण न कर पाने का कारण बनता है।  

Ayurvedic Treatment for infertility में पंचकर्म पद्धति के पांच प्रकार में वमनकर्म, विरेचनकर्म , उत्तरबस्ती- हर्बल एनीमा थेरेपी, नास्यकर्म- नाक की थेरेपी, और रक्तमोक्षण कर्म चिकित्सा शामिल है। इस पद्धति में Infertility Treatment without surgery के मरीज (महिला या पुरूष) का उपचार उसके स्थिति के आधार पर करते है। पंचकर्म थेरेपी भी अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी को ठीक करने के लिए एक अच्छा विकल्प है। पंचकर्म पद्धति में उत्तर बस्ती थेरेपी में औषधियां, हर्ब, काढ़ा और बहुत सारे रसायनों द्वारा मेटाबॉलिज्म में सुधार, सूजन को कम करने और वात-कफ दोष को संतुलित कर अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी की समस्या से निजात दिलाता है। इस थेरपी को करने में मात्रा 15 से 20 मिनट तक का समय लगता है। यह थेरेपी लगातार तीन दिनों तक या रोगी के आवश्यकता के अनुसार किया जाता है। 


साथ ही आयुर्वेद आहार-विहार पर सबसे ज्यादा जोर देते है क्योंकि अधिकतर बीमारियों की जड़ हमारा भोजन तथा जीवन शैली ही होती है। इसलिए Infertility Doctor अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी से पीड़ित महिलाओं को उनके  खानपान पर बहुत ज्यादा ध्यान देने पर जोर डालती है। महिलाओं को अपने डाइट में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थो को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा हरी सब्जियाँ, पालक एवं एंटीऑक्सीडेंट भोज्य पदार्थो का सेवन जरुर करना चाहिए। खानपान के अलावा आयुर्वेद में कुछ हर्बल सप्लीमेंट तथा योग-प्राणायाम है जो आपको अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी की समस्या से छुटकारा दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। 


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