Polycystic Ovarian Syndrome in hindi

 महिलाओं में इस तरह के लक्षण दिखे तो हो जाएं सावधान, हो सकता है PCOS

महिलाओं के शरीर में सामान्य की तुलना में बहुत अधिक हार्मोन बनते हैं। कई बार जब हार्मोन असंतुलन होते है जिसके वजह से अंडाशय समय पर अंडे को रिलीज नहीं करता या समय से पहले अंडे को रिलीज कर देता है। इस वजह से पीरियड्स समय से पहले आ जाते है, देर से आते है या फिर पीरियड्स आते ही नहीं है। और इस समस्या को पीसीओएस (PCOS) कहा जाता है। 



आपको जानकर हैरानी होगी की PCOS महिला बांझपन के सबसे आम कारणों में से एक है। अगर समय रहते इस समस्या को नियंत्रित नहीं किया गया तो आगे चलकर परेशानी बढ़ सकती है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको PCOS के जुड़ी हर जानकारी देंगे और बताएंगे इससे कैसे बचा जा सकता है।    

पीसीओएस क्या है- PCOS Kya Hai ?

पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम (Polycystic Ovarian Syndrome) एक आम हार्मोनल समस्या है जो महिलाओं को कम उम्र में परेशान कर सकती है। यह एक अंतःस्रावी विकार (Endocrine Disorders) है जो महिलाओं में इन दिनों काफी आम है। पीसीओएस (PCOS in Hindi) की वजह से पीरियड्स में अनियमितता, पीरियड्स के दौरान तेज दर्द, शरीर पर बाल आना, इनफर्टिलिटी की समस्या, तेजी से वजन बढ़ना आदि शामिल हैं। इस विकार के कारण महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है और ओवरी में सिस्ट बनने लगते हैं। यह समस्या 13 से 40 साल की उम्र में महिलाओं में पाया जाता है। 


पीसीओएस के लक्षण - PCOS Ke Lakshan   


  • अनियमित पीरियड्स 

  • हल्का रक्तस्राव

  • पीरियड्स का न आना

  • छाती, पेट, चेहरे और पीठ आदि में बाल आना

  • वजन बढ़ना खासकर पेट के आसपास

  • चेहरे पर मुंहासे आना

  • त्वचा का अधिक तेलिया होना

  • हमेशा थकावाट रहना

  • डिप्रेशन या घबराहत होना

  • अचानक से उदास होना

  • बालों का झड़ना

  • बार बार गर्भपात होना

  • सिर दर्द होना


क्यों होती है पीसीओएस की समस्या - PCOS Ki Samasya


डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि इस समस्या की मुख्य वजह अभी तक पता नहीं चल पाई है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि पीसीओएस हो या फिर पीसीओडी की समस्या हो दोनों में ही हार्मोन असंतुलन देखने को मिलता है। 

महिला का अंडाशय फीमेल और मेल हार्मोन यानी एस्ट्रोजन और एंड्रोजन दोनों ही हार्मोन का उत्पादन करता करता है। लेकिन किसी कारण से जब अंडाशय एंड्रोजन हार्मोन का उत्पादन ज्यादा करने लगता है जिससे धीरे-धीरे अंडाशय में गांठ बनने लगती है।


इस समस्या में ऐसा भी होता है कि इंसुलिन की सक्रियता बढ़ जाती है जिसके कारण अंडाशय पर बुरा असर पड़ता है. इससे अंडोत्सर्ग यानी अंडा रिलीज नहीं होता है।


पीसीओएस से होने वाला खतरा- PCOS Se Hone Wala Khatra


ऐसा माना जाता है कि पीसीओएस होने के कारण डायबिटिज टाइप-2 का खतरा हो सकता है। इसके अलावा उच्च रक्तचाप की समस्या, दिल का दौरा, स्लीप एप्निया, एंडोमेट्रियल कैंसर जैसी समस्या होने का खतरा हो सकता है।

पीसीओएस की समस्या में कई बार मिसकैरेज और प्रीमैच्योर बर्थ जैसी अन्य गंभीर समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।  


पीसीओएस से बचाव के कुछ आयुर्वेदिक उपचार- PCOS ke Liye Ayurvedic Upchar


अगर आप इस तरह के लक्षण हैं तो बचाव के लिए कई आयुर्वेदिक उपाय अपना सकते है। जैसे की :-


डाइट में करें बदलाव


अधिक से अधिक फाइबर युक्त पदार्थ का सेवन करना चाहिए। यह पाचन प्राकिया को धीमा करता है जिससे ब्लड में शुगर का प्रभाव कम होता है। इससे आपके शरीर में इंसुलिन की समस्या नहीं बढ़ती है। इसके अलावा अपने डाइट में एंटी-इंफ्लेमेटरी युक्त आहार में शामिल करें। आपको हरी सब्जियों और देसी गाय के दूध का सेवन करना चाहिए। जिससे शरीर में आरन और कैल्शियम की कमी पूरी होगी। 


  • योग


प्रकृति के साथ जुड़े यानी रोजाना आपको योगासन करने चाहिए। आप योगासन में प्राणायाम, कपालभाति, सूर्य नमस्कार, शवासन, तितली आसन करें जिससे आपका शरीर तनाव मुक्त और ताजगी लाती है। 


  • व्यायाम     


रोजाना 30 मिनट चलने से शरीर तरोताजा और सक्रिया रहेगा। साथ ही आपका मूड भी अच्छा रहेगा। 


  • गर्म पानी पींए


आपको दिनभर में गर्म पानी या गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए। फ्रीज की रखी चीजों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।  


  • भोजन का समय


ज्यादातर लोगो की आदत होती है दिन में थोड़ा-थोड़ा खाते रहने की लेकिन आयुर्वेद के मुताबिक पहले खाया हुआ खाना जब तक अच्छे से पच न जाए तब तक दोबारा खाना नहीं खाना चाहिए। इस प्रक्रिया का पालन करने से आपका पाचन तंत्र स्वस्थ रहेगा। और हमेशा ध्यान रखना चाहिए की जैसे जैसे शाम ढलती है वैसे वैसे हमारी पाचन क्रिया कम हो जाती है तो रात के समय हमे हल्का भोजन करना चाहिए। 


  • जीवनशैली में बदलाव करें


आपको पीसीओएस की समस्या में अपनी जीवनशैली को बदलना चाहिए। आपको समय पर सोना चाहिए, समय पर उठना चाहिए, समय पर खाना खाना चाहिए और साथ ही बहार के खानपान से परहेज करना चाहिए। यह डब्बे बंद भोजन ज्यादातर मैदा पदार्थ या फिर न जाने कितने खतरनाक पदार्थो से मिलकर बनता है जो शरीर को नुकसान पहुंचाता है।


  • मौसमी फलों का सेवन करें


भोजन में दूध का सेवन ज़रूर करें और तरबूज, खरबूजा, आंवला आदि जैसे मौसमी फलों का सेवन करें जिससे आपके शरीर में विटामिन सी की कमी पूरी हो सके। बेमौसमी फलों को खाने से बचना चाहिए।     


  • तेल पदार्थ सेवन न करें


आपको अपने डाइट में तेज मिर्च मसाले वाले, तला हुआ, अधिक चिकनाई वाला खाना खाने से बचना चाहिए। 


इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे Doctor Chanchal Sharma की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।


टिप्पणियाँ