गर्भाशय में फाइब्रॉएड - Uterine Fibroids in Hindi
मां बनने का सपना हर महिला का होता है। और इस सपने को पूरा हमारा गर्भाशय करता है। एक महिला का गर्भाशय फैलोपियन ट्यूब और अंडाशय से जोड़ता है जो निषेचन की प्रक्रिया में मदद करता है।
फैलोपियन ट्यूब गर्भाशय का वो हिस्सा है जहां पुरुष का शुक्राणु महिला के एग से जाकर मिलता है जिससे भूर्ण तैयार होता है।
लेकिन कुछ कारणवश महिला के गर्भाशय में फाइब्रॉएड (uterine fibroids in hindi) होने से मां बनने के सपने में खलल आ जाती है। गर्भाशय में फाइब्रॉएड (रसौली) मांसपेशियों में होने वाला ट्यूमर होता है। जिसकी संख्या एक या एक से अधिक हो सकती है।
फाइब्रॉएड 35 साल से 50 साल की उम्र में लगभग 30 प्रतिशत से 80 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है। इसका इलाज पूरी तरह से महिला के दिख रहे लक्षणों पर निर्भर करता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको महिला के गर्भाशय होने वाले फाइब्रॉएड (फाइब्रॉएड) के बारे में बताएंगे।
गर्भाशय में फाइब्रॉएड (रसौली) क्या है?- What are Uterine fibroids in Hindi
गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लक्षण- Symptoms of Uterine fibroids in Hindi
इन निम्नलिखित में गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लक्षण देखे जाते हैं-
फाइब्रॉएड के कारण पीरियड्स के समय क्लोटिंग (वक्त के थक्के आना) बहुत अधिक बढ़ सकती है।
पेट के निचले हिस्से में बहुत अधिक दर्द होना और ब्लीडिंग अधिक होना।
पेट के निचले हिस्से में भारीपन लगना और संमभोग करते समय दर्द होना।
बार-बार यूरिन पास होना और वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज (Vaginal Discharge) होना।
हर समय थकान रहना, पैरों में दर्द होना और कब्ज की शिकायत रहना।
कभी-कभी चिड़चि़ड़ापन या यौन संबंध बनाते समय दर्द होना।
एनिमिया की समस्या भी हो सकती है।
पेल्विक एरिया में दर्द होना।
मासिक धर्म चक्र का सामान्य तौर से ज्यादा दिनों तक चलना
मासिक धर्म के खत्म होने के बाद बीच में अचानक ब्लीडिंग होना
बढ़ा हुआ पेट, पेडू में भारीपन और पीठ में भी दर्द रहना
गर्भाशय में फाइब्रॉएड के कारण- Causes of Uterine fibroids in Hindi
गर्भाशय में फाइब्रॉएड होने का कोई कारण अभी तक पता नहीं चला है। लेकिन डॉक्टर के अनुसार इन निम्नलिखित में गर्भाशय में फाइब्रॉएड (रसौली) के कारण शामिल हैं-
डॉक्टर के अनुसार, हॉर्मोनल डिसबैलंस (Hormonal Disbalance) के कारण यूट्रस में रसौली बनती है लेकिन सेहत संबंधी अन्य समस्याएं भी इसकी वजह हो सकती हैं। हॉर्मोन्स बिगड़ने की वजह हर किसी के साथ समान नहीं होती है। कभी लाइफस्टाइल और खान-पान के कारण तो कभी किसी दवाई के साइडइफेक्ट के कारण भी हॉर्मोन डिसबैलंस (Hormone Disbalance) हो सकता है। लेकिन फाइब्रॉएड (रसौली) की समस्या हेरिडिटी की वजह से अधिक देखने को मिलती है।
कई बार आनुवंशिकी के कारण भी गर्भाशय में रसौली हो सकता है। अगर आपके परिवार में पहले कोई गर्भाशय में रसौली से पीड़ित रहा है तो आपमें भी यह बीमारी होने की संभावना है।
कम उम्र में मासिक धर्म की शुरुआत, गर्भनिरोधक का उपयोग, मोटापा, विटामिन डी की कमी, आहार में लाल मांस का अधिक सेवन, हरी सब्ज़ियों और फलों का कम सेवन, बीयर और शराब का सेवन फाइब्रॉएड के विकास के जोखिम को बढ़ता है।
अगर किसी महिला का वजन अधिक है, तो उसमें फाइब्रॉएड होने की आशंका अन्य महिलाओं के मुकाबले तीन गुना तक ज्यादा होती है।
फाइब्रॉयड के गांठों की पहचान एमआरआई, अल्ट्रासाउंड और सीटीस्कैन के जरिये किया जा सकता है।
गर्भाशय में फाइब्रॉएड का आयुर्वेदिक इलाज- Ayurvedic Treatment of Uterine Fibroids in Hindi
आयुर्वेद में गर्भाशय में फाइब्रॉएड का इलाज संभव है। इनके आकार और स्थिति को ध्यान में रखकर उपचार किया जाता है-
आयुर्वेद के अनुसार, गर्भाशय में कई तरह की ग्रंथियां होती हैं। उनमें से यूटेराइन फाइब्रॉयड भी एक है जिसका इलाज आयुर्वेद दवाओं से संभव है। इसके इलाज के दौरान मरीज में दोष का लेवल देखा जाता है। मुख्य रूप से वात और कफ दोष कि पर ध्यान दिया जाता है। दोषों और लक्षण के आधार पर इलाज की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है।
फाइब्रॉएड और एंडोमेट्रिओसिस के कारण (endometriosis causes in hindi) महिलाओं को रोजमर्रा में असहनीय दर्द सहना पड़ता है। एलोपेथी सिर्फ लक्षणों पर काम कर उससे राहत दिलाने का काम करती है, जबकि आयुर्वेदिक इलाज समस्या को जड़ से खत्म करती है। इसमें प्रकृति में मौजूदा जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता है। इनमें कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटी शामिल हैं-
आमतौर पर अदरक का इस्तेमाल खांसी के लिए किया जाता है, लेकिन यह गर्भाशाय फाइब्रॉएड के इलाज के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। गर्भाशय में रक्त के प्रवाह और परिसंचरण को बढ़ावा देने में अदरक का इस्तेमाल किया जाता है।
हल्दी का उपयोग हर तरीके की बीमारी में किया जाता है। गर्भाशय में होने वाले फाइब्रॉएड से निपटने के लिए भी हल्दी का उपयोग किया जाता है। यह अंतःस्रावी तंत्र पर कार्य करके फाइब्रॉएड के आकार को कम कर सकता है। इसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन लेयोमायोमा कोशिकाओं के प्रसार को रोकता है।
गुग्गुल कफ, वात, कृमि और अर्श नाशक होता है। इसके अलावा इसमें सूजन को कम करने के गुण भी होते हैं। गर्भाशय से जुड़ें रोगों के लिए गुग्गुल का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। गर्भाशय में फाइब्रॉएड की समस्या होने पर आप सुबह-शाम गुड़ के साथ सेवन कर सकते है।
चंद्रप्रभा वटी में डाइयुरेटिक गुण होता हैं, जो शरीर में जमा सभी टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। बच्चेदानी में रसौली और ओवेरियन सिस्ट होने पर इसके सेवन से अच्छे रिजल्ट देखने को मिल सकते हैं। यह मल्टी-विटामिन का प्राकृतिक स्रोत है, जिसके सेवन से महिला को मजबूती मिलती है और उसकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है।
खानपान के अलावा आप दिन में एक बार योगा जरुर करे जो फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है।
सुर्य नमस्कार, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम, तितली आसन, कपालभाती, नौकासन, भ्रमारी प्राणायाम और 30 मिनट तक पैदल चले।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं।
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